दिग्विजय सिंह बन सकते हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पदयात्रा दिग्विजय सिंह का आजमाया हुआ नुस्खा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सत्ता की ओर बढ़ते हुए कदम
ऐसी स्थिति में किसी का कैसे राजनीति में मन लगेगा
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कांग्रेस का राजनीतिक परिदृश्य कुछ इस तरह का नजर आ रहा है कि आने वाले दिनों में अगर राहुल गांधी राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो दिग्विजय सिंह का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है ।
क्योंकि गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल आदि द्वारा निर्मित जी 23 के कांग्रेस पर हमलावर होने के बाद दिग्विजय सिंह को सामने आना पड़ा और गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद उन्हें उनकी कड़े शब्दों में निंदा भी करना पड़ी
क्योंकि यह वही लोग हैं जिन्होंने अच्छे से दिनों में कांग्रेस का जमकर शोषण किया और आज संघर्ष के दौर में यह कांग्रेस को पीठ दिखा कर भाग खड़े हुए
और तोहमत भी किसी और पर नहीं बल्कि उस मां के बेटे पर लगाई जिनकी वजह से यह बगैर कोई चुनाव जीते मंत्री तक बने रहे
और जिसने अपनी तमाम जिंदगी में सिवाय कुर्बानी देने के और कुछ नहीं पाया ।
पहले देवर बाद में मां जैसी सास अंत में पति सब देश पर न्योछावर हो गए और अब पुत्र भी और पुत्री उसी राह पर चल पड़ें है ।
लगातार ऐसी अकाल मौतों के बाद कोई सोने की तश्तरी मैं भी पकवान परोसे तो क्या कोई खा पाएगा ?
हम सबके देखते ही देखते इंदिरा जी और राजीव जी और उससे पहले संजय गांधी की भी मौत हो गई
पर देश के प्रति समर्पित यह परिवार आज भी इनकार नहीं कर पाता
और अपने घर से एक लाश देने को हर समय तैयार रहता है
ताकि कांग्रेस फिर बहुमत में आ जाए ।
बहरहाल ऐसे कठिन समय में दिग्विजय सिंह संकटमोचक के रूप में गांधी परिवार और पूरी कांग्रेस के साथ में आकर खड़े हुए और अपनी नर्मदा यात्रा की तर्ज पर भारत जोड़ो यात्रा जैसे विशाल मिशन पर राहुल गांधी को अग्रसर किया ।
पैदल यात्रा से जनसंपर्क की विधा यद्यपि बहुत पुरानी है पर दिग्विजय सिंह ने इसे नर्मदा यात्रा के दौरान अपना कर भी देखा और परिणाम भी मध्य प्रदेश में सत्ता प्राप्ति के रूप में सामने आए
अपने अनुभवों की कसौटी पर कसे गऐ इस प्रयोग को
राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से कश्मीर तक दोहराया जा रहा है
निश्चित ही जिसके परिणाम भी मध्य प्रदेश की तरह ही सामने आएंगे
राहुल गांधी की पदयात्रा और उनका सघन जनसंपर्क कांग्रेस के पुनरुत्थान में मील का एक बड़ा पत्थर साबित होगा जून की यात्रा के दौरान अभी से परिलक्षित भी होने लगा है इसका साक्ष्य उनके साथ चल रहा जन समंदर
और इस बीच अगर कहीं राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनना नहीं चाहें तो विकल्प के रूप में दिग्विजय सिंह से अच्छा और विश्वसनीय कोई नाम उनके सामने है भी नहीं ।
कांग्रेस महासचिव के रूप में उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर काम भी किया है और अपनी एक अलग छवि भी बनाई है
स्वर्गीय राजीव जी के विश्वसनीय भी रहे हैं उन्हें पहले मध्य प्रदेश का अध्यक्ष बनाना भी स्वर्गीय राजीव गांधी ने हीं चाहा था और वे बने भी थे ।
वर्तमान समय में भी दिग्विजय सिंह जैसे अनुभवी व्यक्ति के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की जरूरत है अन्यथा राहुल गांधी जैसे लोगों को तो विपक्ष की छोड़ें अपने ही नहीं जीने दे रहे है सिंधिया जैसे मित्र इसका साक्षात प्रमाण है जिन्होंने कांग्रेस और मित्रता तोड़ने में 1 मिनट नहीं लगाया
पूरे परिवार का त्याग तपस्या और बलिदान यह राजनीतिक लोग भूल चुके हैं ।
लेकिन आम आदमियों के दिल में आज इंदिरा राजीव और सोनिया और राहुल प्रियंका के प्रति अपार श्रद्धा और विश्वास कायम है और जो हमेशा बना भी रहेगा ।