मेरा पांच दशकीय पत्रकारिता जीवन”
-पर्यटन स्थली मढ़ई और मां सरस्वती की तपोस्थली
रेवा कुब्जा संगम सबसे बड़ी उपलब्धि
आधी सदी से ज्यादा हो चुकी मेरी पत्रकारिता को शुरुआत वस्तुतः सन 67/68 मे ही नरसिंहपुर जिले के छोटे से गांव साली चौका बोहानी से आकाशवाणी भोपाल के बच्चों के कोपल कार्यक्रम से पहेलीयो और सामान्य ज्ञान के माध्यम से होचुकी थी ।
69 मे भोपाल पहुंचकर मैं दैनिक नव भारत के पत्र संपादक के स्तंभ से मै नियमित लेखन से जुड़ गया आसपास की छोटी-मोटी समस्याओं से लेकर जनसमस्याओं तक को उठाने का अनुभव मुझे इस स्तंभ के माध्यम से मिला कई गंभीर मुद्दों पर खतो किताबत के अवसर मुझे इस स्तंभ के माध्यम से मिले । भोपाल में रहते हुए मुझे नवभारत के अतिरिक्त दैनिक भास्कर जागरण देशबंधु दैनिक सांध्य प्रकाश नई दुनिया और कृषक जगत जैसे अखबारों में कृषि और उद्यान संबंधी लेखों के लेखन और प्रकाशन का अवसर मिला । समय-समय पर जन समस्याओं और अन्य राष्ट्रीय प्रादेशिक समस्याओं को लेकर लेखों के प्रकाशन का मौका भी मुझे राजधानी भोपाल में रहते हुए मिलने लगा कुछ अखबारों से आलेखों के कारण कुछ आर्थिक व्यवस्थाएं भी हो जाया करती थी ।
लेखन में मेरे गुरु और मार्गदर्शक मेरे पिता स्वर्गीय जगदीश नारायण तिवारी रहे हैं इनके प्रदेश में होते हुए विभिन्न स्थानों पर स्थानांतरण के कारण मुझे प्रदेश के कई शहरों में पढ़ने और लिखने का अवसर भी मिला सिवनी छिंदवाड़ा बालाघाट दुर्ग भिलाई रायपुर इंदौर भोपाल जबलपुर सभी जगह रहते हुए मैंने लेखन का कार्य नहीं छोड़ा था इन सभी जगह मैंने व्यवसाय के रूप में उद्यानिकी को अपना लिया था जिसके माध्यम से मैं उद्यानिकी सेवाएं भी विभिन्न शहरों में दे चुका हूं उद्यानिकी व्यवसाय के चलते भी मुझे इंदौर जबलपुर दुर्ग रायपुर में भी नवभारत देशबंधु जैसे अखबारों में उद्यानिकी लेखों के जरिए सम्मानजनक स्थान प्रति सप्ताह और रोजाना भी मिलता रहा ।
राजनीतिक जीवन में एंट्री मुझे सन 71 में डॉ शंकर दयाल शर्मा के चुनावों से मिल चुकी थी भोपाल से वे सांसद का चुनाव लड़ रहे थे इसके बाद सन 76 से लेकर 79 तक का समय पचमढ़ी में गुजरा इन दिनों चाचा प्रेम नारायण जायसवाल के मार्गदर्शन में युवक कांग्रेस में प्रविष्ट हो चुका था । यहां हुए राजनीतिक दंगे का अनुभव भी मुझे हुआ 80 के दशक में अपने ग्रह नगर सोहागपुर आकर नियमित पत्रकारिता की शुरुआत अपने मित्र भोपाल के यतेंद्र नायक के अखबार साप्ताहिक प्रत्यक्ष दर्शी टाइम्स से की वस्तुतः से यतेंद्र के अपने पिता स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण नायक जो उस समय टीकमगढ़ के सांसद थे के साथ व्यस्त रहने के कारण समूचे अखबार का संपादन ही मेरे द्वारा हुआ करता था ।
इसके बाद सोहागपुर में मैंने दैनिक नवभारत से समाचार बतौर संवाददाता भेजने की शुरुआत की ” पलक मती की मुंदती पलकें ” शीर्षक से 8 कॉलम में मेरा पहला बड़ा समाचार प्रकाशित हुआ इसके बाद निरंतर बड़े-बड़े कॉलम्स मैं मेरे राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं पर आधारित समाचारों का प्रकाशन नवभारत में नियमित रूप से होता रहा । पलक मति के प्रदूषण के अलावा पान बरेजो और कृषको की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर उठाया सोहागपुर में महिला चिकित्सक और तीस बिस्तर के अस्पताल की समस्या बड़ी शिद्दत से महसूस की जा रही थी उसे उतनी ही प्रमुखता से उठाया रेवा बनखेड़ी और कामती रोड के मसले भी प्रमुखता से उठाऐ भौखेड़ी मार्ग और शोभापुर भटगांव मार्ग भी अखबारों मेरे समाचार प्रकाशन के मुद्दे हुआ करते थे ।
साथ ही सोहागपुर नवल गांव गुंदरई मार्ग शोभापुर पिपरिया मार्ग शोभापुर अजेरा मार्ग पर भी कलम चल रही थी 27 सितंबर पचासी को मैंने अपने पिता स्वर्गीय श्री जगदीश नारायण तिवारी के शासकीय स्वत्वों के लिए भुगतान की मांग के चलते राज्य सचिवालय बल्लभ भवन के सामने आत्मदाह कर लिया फलस्वरूप मुझे जेल जाना पड़ा परिणाम से बाहर आने से पूर्व मेरे पिता के कुछ स्वत्वों का भुगतान घर बैठे हो चुका था शेष के लिए फिर संघर्ष करना पड़ा ।फिर भी उनकी लड़ाई अधूरी रही और 30 दिसंबर 1995 उन्होंने इस मृत्युलोक से विदा ले ली ।अब पूरे घर की जवाबदारी मुझ पर आ चुकी थी इसके साथ ही संघर्ष भी जारी रहा
सन 1986 में तत्कालीन सांसद रामेश्वर निकला के संपर्क में आया और उनके सेवा दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनते ही कांग्रेस सेवा दल का पहला राष्ट्रीय शिविर अपने मित्र कुलदीप मिश्रा के माध्यम से निजामुद्दीन दिल्ली में ज्वाइन किया । इसके बाद सांसद रामेश्वर नीखरा कि और नजदीकी हासिल हुई सोहागपुर में कांग्रेस सेवा दल के ब्लॉक स्तरीय शिविरों की शुरुआत की जिसके चलते हुए सांसद रामेश्वर नीखरा से और नजदीकी संबंध स्थापित हुए फिर कुछ लोगों की शिकायतों के चलते उन्होंने मुझे अपनी कार में साथ में ही बिठा लिया और धीरे से मैं ना जाने कब उनके दिल में बैठ चुका था यह मुझे भी नहीं मालूम और उन्हें भी शायद एहसास नहीं हो पाया और अब आज उनसे संबंध और प्रगाढ़ तथा पारिवारिक हो चुके हैं ।
सन 1986 के बाद भी मैं दैनिक भास्कर दैनिक नईदुनिया दैनिक सांध्य प्रकाश दैनिक अग्निबाण आदि अखबारों के माध्यम से सोहागपुर की खबरें प्रकाशित करता रहा
जिसमें सत्यासी के बाद दैनिक नईदुनिया के माध्यम से मैंने मढई को उभारना शुरू किया वस्तुतः मढई विस्थापित बंगाली मछुआरों की समस्याओं को सुलझाने के चक्कर में एक सुबह सवेरे मेरी नजरों में आ चुकी थी सुबह पांच बजे लगभग मछलियों के तोल कांटे सारंगपुर के पास सूर्योदय का खूबसूरत नजारा मेरी नजरों के सामने से गुजरा मेरे मन में ख्याल आया कि यहां एक बेहतरीन पर्यटन केंद्र बन सकता है क्यों ना इस सिलसिले में प्रयास किए जाएं ?
और बस फिर शुरू हो गए सिलसिले मढई को पर्यटन केंद्र के रूप में उभारने के आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में मढई को उभारने के सिलसिले में निरंतर कलम युद्ध चलता रहा।
पहले पहल खबर छापी तो कामती अभ्यारण के रेंजर आरपी निगम मुझसे मिले और कहा है कि आपने अच्छा लिखा यहां पर्यटन केंद्र बनना चाहिए पर हकीकत यह है कि मेरे स्टाफ को भी मढई पहुंचने में 3 दिन लग जाते हैं क्योंकि पहले उसे इटारसी केसला होते हुए चूरना पहुंचना पड़ता है फिर वहां से तीन-चार घंटों में मढई पहुंचना होता है
3 दिन से जाने में लगते हैं इस बीच अगर कोई वहां बीमार पड़ जाए तो ईश्वर ही रखवाला है
यहां से अगर नाव चालू हो जाती 3 दिन का सफर हमारा 20 मिनट में सिमट जाएगा तो सबसे पहले समाचारों के प्रकाशन के माध्यम से नाव की व्यवस्थाएं की गई फिर पहुंच मार्ग की मांग की गई इसके पश्चात स्टाफ और फंड की मांग की गई और आज सोहागपुर की “मढ़ई” सोहागपुर की नई पहचान के साथ अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर स्थापित हो चुकी है
स्टाफ भी 8 से लेकर डेढ़ सौ तक पहुंच चुका है
मेरी कल्पनाओं के मुताबिक पचमढ़ी आने वाला हर पर्यटक पचमढ़ी पहुंचकर पूछता है कि “मढई और चूरना” यहां से कितनी दूर है तो उसे बताया जाता है कि पहले सोहागपुर पहुचिऐ वहां से आपको 25 किलोमीटर दूर मढई और फिर चूरना का रास्ता मिलेगा । मढ़ई में जहां लोग हजार दो हजार रुपये में भी जमीन खरीदना पसंद नहीं करते थे आज वहां जमीन की कीमतें करोड़ों रुपए पार हो चुकी है यही स्थिति रेवा कुब्जा संगम के पास की है पीलिया के पुल के निर्माण के बाद यहां भी जमीनों के भाव बढ़े हैं और दिल्ली जैसे शहरों से बाहर के लोग आकर जमीन खरीद कर यहां रहने लगे है
अब इन दिनों में दैनिक पीपुल्स समाचार के अलावा भोपाल से प्रकाशित दैनिक सर्च स्टोरी और पिपरिया के न्यूज़ चैनल ” स्टेट न्यूज़ 18 और “बोलता शब्द” सहित और भी कई प्रसारण और प्रकाशन में लेखन और समाचार प्रेषण का सिलसिला जारी है अब नर्मदा किनारे धार्मिक पर्यटन उभारने की तरफ विशेष ध्यान है भगवान सूर्यनारायण की तपोस्थली सूरजकुंड सहित सृष्टि के प्रथम पत्रकार नारद मुनि की तपोस्थली “नारदी संगम” सहित कई पौराणिक धार्मिक स्थलों के उत्थान और उन्नयन की रूपरेखा पर काम चल रहा है
माता सरस्वती की तपोस्थली अजेरा के श्री रेवा कुब्जा संगम का विधायक विजय पाल सिंह राजपूत और सांसद राव उदय प्रताप सिंह के सहयोग से उन्नयन हो चुका है यहां पर विधायक विजयपाल सिंह राजपूत के विशेष प्रयासों से धर्मशाला के निर्माण के अलावा संगम तक सीढ़ियों का निर्माण और पीलिया पर पुल का निर्माण भक्तवत्सल नागरिकों के लिए सुविधा का सबब बन चुका है ।यह कलम के माध्यम से मेरी बड़ी उपलब्धियां हैं
और इनके अलावा सोहागपुर में 30 बिस्तर के अस्पताल के अलावा एसटीडी सुविधाओं की शुरुआत मैं भी मेरी कलम की अहम भूमिका रही है अमरकंटक एक्सप्रेस रोकने के लिए भी जनमानस बनाने में इस कलम का विशेष योगदान रहा है तत्कालीन सांसद रामेश्वर नीखरा जी के प्रयासों और तत्कालीन रेल मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के निर्देशों से आज यहां पर अमरकंटक रुक रही है जिससे जनता को विशेष लाभ मिलता है