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काया से छाया गायब खगोल विज्ञानी सारिका ने भोपाल में किया प्रयोग लोगों ने होते देखा शैडो को जीरो

सोहागपुर की खगोल विज्ञानी सारिका ने भोपाल में किया साया  का काया से प्रयोग का प्रदर्शन

डॉ. आशुतोष शर्मा  के आतिथ्‍य में

भोपालवासियों ने देखा शैडो को होते जीरो
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सोहागपुर । यहां की जानी-मानी खगोल विज्ञानी सारिका ने साया का काया से प्रयोग से विज्ञान भोपाल वासियों को प्रदर्शन के माध्यम से समझाया

परछाई को भी मात देने वाले दिन का सामना किया भोपालवासियों  ने 

काया के नीचे साया को समाप्‍त होते प्रयोगों से दिखाया गया आपका साया ही आपका साथ छोड़ रहा है ।
इस खगोलीय घटनाक्रम को समझाने नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने  छाया और काया कार्यक्रम का आयोजन किया ।
कार्यक्रम के मुख्‍य अतिथि भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पूर्व सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा उपस्थित हुये ।

सारिका ने बताया कि मकर तथा कर्क रेखा के बीच स्थित शहरों में साल में सिर्फ दो दिन ही मध्‍यान्‍ह के समय परछाया उस वस्‍तु के ठीक नीचे बनती है जिससे वह दिखाई नहीं देती है । इसे ही जीरो शैडो डे कहते हैं ।  दिन में साया का काया से साथ साल में बाकी 363 दिन ही साथ रहता है
यह तिथि इस बात पर निर्भर करती है कि उस स्‍थान का अक्षांश क्‍या है ।
भोपाल के लिये यह स्थिति प्रथम बार लगभग 15 जून के आसपास आती है ।
दूसरी बार 28 जून को यह स्थिति आती है ।
दोपहर के समय इन दो दिनों को छोड़कर बाकी दिन छाया की लंबाई कुछ न कुछ अवश्‍य रहती है ।
कर्क रेखा पर स्थित नगरों में यह 21 जून को होती है जिसमें उज्‍जैन शामिल है ।

सारिका ने अपने प्रयोगों में 4 इंच डायमीटर पाईप के नीचे पारदर्शी कांच रखकर सूर्य की पूरी किरणों को नीचे जाकर कागज पर बनते गोल से बताया कि इस समय सूर्य ठीक सिर के उपर है जिससे मध्‍यान्‍ह के समय सारी किरणें लंबवत होकर पाईप की दीवार से नहीं टकरा रही हैं । प्रोफेसर आशुतोष शर्मा की उपस्थिति में प्रयोग को मध्‍यान्‍ह के बाद भी किया गया । जिसमें अलग-अलग समय परछाई के घटने और बढ़ने को बताया गया ।

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