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अब मूर्त रूप लेती जा रही है बाबा हरिओम की परिकल्पना पौराणिक जमनी  तलाई के बीचों बीच बना शिव मंदिर

    बाबा हरि ओम जिनकी  वाणी ही सिद्ध थी।                      ।          जिससे जो कहा वह हो गया

सोहागपुर। सोहागपुर सिर्फ राजा बाणासुर की राजधानी ही नहीं सिद्ध संतों और  पीर फकीरों की कर्मभूमि के रूप में भी विख्यात है 

द्वापर में जहां यहां पर खुद भगवान श्री कृष्ण ने सेनाओं सहित “जमनी तलाई” पर पड़ाव डाला है

 तो “नानक टेकरी” पर श्री गुरु नानक देव के भी श्री चरण  पड़े हैं 

और नर्मदा तटों पर श्री गौरी शंकर महाराज की जमातें उनकी सवा लाख गायों  के साथ रुका करती थी । 

करणपुर की अलम टेकरी में  बाबा गैव शाह वली की दरगाह लगभग 300 साल पुरानी बताई जाती है जो सर्व धर्म संप्रदाय का प्रतीक है  वही हजरत ख्वाजा पीर साहब का चिल्ला शरीफ  भी सभी धर्म और संप्रदायों की आस्था का केंद्र  हैं ।

इसी तरह वाणी के सिद्ध सोहागपुर के बाबा हरि ओम भी यहां एक जीवंत किंवदंती  रूप में याद किए जाते हैं कहते हैं वह जो बोल देते थे वह सत्य सिद्ध हो जाता था 

कई निसंतानों को तो उनके आशीर्वाद से संतान सुख भी प्राप्त हुए हैं यह बात प्रमाणित रूप में चर्चित है और कुछ नेताओं की जीत के तो उन्होंने आंकड़े ही दे दिए थे ।

बाबा हरि ओम भी  सर्वधर्म संप्रदाय के प्रतीक माने जाते थे दोनों संप्रदायों मे उनका बेहद सम्मान था हरिजन के यहां हरि कथा कहने वाले वे इकलोते ब्राह्मण थे 

उनके पिता स्वर्गीय  डोरी लाल तिवारी खुद भागवती पंडित थे और उनके दादा सेवक राम तिवारी भी 

बाबा हरि ओम संपन्न ब्राह्मण पर परिवार में जन्मे थे

पर समूचे जीवन उन्होंने घर बार छोड़कर एक सन्यासी के रूप में बिताया

 उनके  द्वारा श्रम करके स्थापित कई मंदिर और मढियांऐ उनकी यादें दिलाती हैं कमानिया वाला हनुमान मंदिर हो अथवा काली मंदिर वाला हनुमान मंदिर या फिर कॉलेज वाला हनुमान मंदिर नगर में ही हरिओम के जीवंत स्मारक है नगर के आसपास भी कई देवी स्थलों का निर्माण उनकी प्रेरणा और इच्छा से हुआ है ।

द्वापर कालीन जमनी तलैया के बीचो बीच एक शिव मंदिर के निर्माण की उनकी कल्पना थी उनके गोलोक गमन के बाद  यह परिकल्पना अब जन सहयोग से  साकार होती जा रही है जनता जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने मिलकर जमनी तलैया को जहां गहरा करवाया है वही बाबा हरिओम की कल्पना के  मुताबिक तालाब के बीचों बीच शिव मंदिर तक  एक पुल  बनवा दिया है जिसके दोनों और भरे पानी में कमल के फूल और सिंघाड़े आज हरितिमां बिखेरते नजर आ रहे हैं । जिन्हें देख सभी का मन प्रफुल्लित हो उठता है ।

द्वापर कालीन जमनी तलाई के उद्धार का काम सोहागपुर जनपद की पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी बंदू सूर्यवंशी के नेतृत्व में पूर्ण समर्पण एवं निष्ठा भाव के साथ शुरू हुआ था। 

समाजसेवियों के सहयोग से जमनी सरोवर के बीच बनने वाले शिव मंदिर तक पहुंचने हेतु पिलर्स पर लेंटर डालने का काम बड़े उत्साह के साथ शुरू हुआ एवं समाप्त हो गया। 

इसके उपरांत यह कारवां रुका नहीं और आज एक भव्य निर्माण के रूप में दिखाई दे रहा है।

      “बाबा शिवलिंग लाए थे ओंकारेश्वर से”

वस्तुतः जमनी तलाई के बीच में शिव मंदिर की  परिकल्पना वर्षों पूर्व गोलोक वासी बाबा हरिओम ने की थीऔर इस सिलसिले में वे ओंकारेश्वर से एक शिवलिंग भी लाए थे जो जमनी सरोवर पर आज भी रखा हुआ है।

 यह बात जमनी तलाई के हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार करवाने वाले गोलोक वासी जमनी के महंत एसपी सिंह मास्साब ने भी बताई थी। 

और ईश्वरीय संयोग से अब वह समय आया जब उनकी वह परिकल्पना परिलक्षित होकर साकार रूप लेने लगी है  और प्रारब्ध के मुताबिक बाबा हरिओम की इस परिकल्पना को सार्थक करने में

 माध्यम बनी जनपद की पूर्व सीईओ बंदू सूर्यवंशी और उनकी सहयोगी आस्थावान श्रमदानी  नगर की जनता।

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