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मढई के शंकरगढ़ में विराजमान है पहाड़ फोड़ कर निकले चतुर्भुजी भगवान शंकर

सोहागपुर । मढ़ई के जंगलों में आदिवासियों की श्रद्धा और आस्था के बाद
….अब पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने
शंकरगढ़ के चतुर्भुजी शंकर भगवान

पहाड़ फोड कर उभर आई थी यह अनूठी प्रतिमा

सोहागपुर । सोहागपुर पुरातात्विक महत्व का भी महत्वपूर्ण स्थान है और असुर राज बाणासुर की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने यहां अपने परिवार और गणों के साथ निश्चित ही निवास किया होगा
इस बात के प्रमाण इससे भी मिलते हैं कि समूचे सतपुड़ा अंचल में शिव परिवार की प्रतिमाएं जंगलों में भी बिखरी पड़ी नजर आती हैं
इसी तरह मढ़ई से कोई 20 किलोमीटर अंदर शंकरगढ़ का एक पहाड़ फोड़ कर भगवान शंकर की अद्भुत चतुर्भुजी प्रतिमा निकली है ।
आमतौर पर चतुर्भुजी शंकर भगवान की प्रतिमा दिखलाई नहीं पड़ती
यह प्रतिमा विस्थापन से पूर्व अंचल के आदिवासी समाज की आस्था और विश्वास का बड़ा केंद्र थी
विस्थापन के बाद जरूर इनके यहां पहुंचने पर रोक लग गई है
लेकिन उससे पूर्व यहां पर आदिवासियों का भगवान शंकर की पूजा अर्चना के लिए बड़ा समागम होता था
आज भी यहां पर पदस्थ अधिकारी कर्मचारी शंकरगढ़ के भगवान शंकर की पूजा अर्चना के बाद ही अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं जिसने भी इस प्रतिमा को देखा अद्भुत बताया ।
आदिवासियों की श्रद्धा विश्वास और आस्था के बाद अब यह प्रतिमा यहां आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का बड़ा केंद्र बन चुकी है
कांमती रेंज के अधिकारी बताते हैं कि
इस प्रतिमा की वजह से ही इस बीट का नाम शंकरगढ़ बीट पड़ा है ।

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