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मढई के दो चितेरों ने वर्षों बाद पुरानी यादों के साथ संग संग घूमा मढई

भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव फ़ैज़ अहमद किदवई और एस.टी.आर के पूर्व संचालक राजपूत ने देखेबाघ बायसन नीलगाय हिरण चीतल सांभर

सोहागपुर ।  होशंगाबाद जिले के  कलेक्टर रह चुके वर्तमान में भारत सरकार के कृषि विभाग और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त सचिव फ़ैज़ अहमद किदवई गत दिवस सोहागपुर आए ।
स्थानीय विश्रामगृह में स्थानीय नागरिको ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया और चर्चा की इस अवसर पर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अभिलाष सिंह चंदेल सहित कई गणमान्य नागरिक समाजसेवी उपस्थित थे।


थोड़ी देर सोहागपुर रुकने के बाद  श्री किदवई पर्यटन स्थल मढई रवाना हुए यहां पर उन्होंने जंगल सफारी की इस अवसर पर उनके साथ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के पूर्व संचालक  एस. एस.राजपूत भी थे । वस्तुतः उक्त दोनों अधिकारी वर्षों बाद एक साथ मढई पहुंचे थे और उन्होंने यहां स्वच्छंद रूप से विचरते और किल्लौल करते हुए वन्य प्राणियों को बहुत पास से निहारा दोनों अधिकारियों के साथ पथ प्रदर्शक के रूप में डिप्टी रेंजर लाखन पटेल गाइड और ड्राइवर भी साथ थे

मढई के रेंजर विजय बारस्कर ने बताया कि
जंगल सफारी के दौरान इन अधिकारियों को बाघ के दीदार तो हुए ही साथ में बायसन के झुंडों से भी यह रूबरू हुए चीतल सांभर नीलगाय भी दिखलाई पड़े
उल्लेखनीय है की मढई को वर्तमान स्थिति में लाने का श्रेय निर्विवाद रूप से तत्कालीन जिला कलेक्टर फैज अहमद किदवई और तत्कालीन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संचालक एस.एस राजपूत  को जाता है । दूसरे शब्दों में मढई के प्रशासनिक शिल्पी और चितिरे यह  अधिकारी रहे हैं ।

इनकी प्रशासनिक इच्छा शक्ति और कल्पना शीलता के चलते मढई आज वर्तमान स्वरूप में दिखलाई पड़ रहा है
इन लोगों के रहते पर्यटन क्षेत्र का विकास भी हुआ और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढे आल्हा की इनके बाद आए अधिकारियों ने भी मढई को नये आयाम दिए किंतु नीव के पत्थरों के रूप में इनके अलावा और भी कई जमीनी स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों का नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाता रहेगा ।

इसी तरह इस निर्जन और वीराने में पर्यटन की संभावनाओं को तलाश में और उसको उभारने में नीम के पत्थर के रूप में “एक पत्रकार” यहां पर हमेशा याद किया जाता रहेगा उत्तरोत्तर मढई के विकास के साथ व्यावसायिक रूप से लिखने वालों की भी तादाद बढ़ती चली गई पर नीव के पत्थर हमेशा याद किए जाते रहेंगे

क्योंकि नीव का मजबूत धरातल ही इमारत को सदियों अस्तित्व में बनाए रखना है इस हकीकत को चाह कर भी नकारा नहीं जा सकता क्योंकि कुदरत तो कुदरत होती है मढई के अस्तित्व में आने के साथ आर्थिक सामाजिक राजनीतिक विकास उत्थान और प्रगति के द्वार खुले हैं पर्यटकों के आने की वजह से मढई आर्थिक रूप से समृद्ध हुई है और सामाजिक राजनीतिक गतिविधियों का भी बड़ा केंद्र बन चुकी है

बड़ी संख्या में अति विशिष्ट व्यक्तियों और व्यक्तित्वों का यहां आगमन होता है देसी विदेशी पर्यटक पूरे साल बने रहते हैं जिससे स्थानीय लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार मिला है विश्व के सबसे बड़े पर्याभास के रूप में टाइगर रिजर्व की ख्याति स्थापित हो चुकी है । बाघ बायसन जैसे दुर्लभ प्राणियों के अलावा हिरण चीतल सांभर नीलगाय और बारहसिंगा के अलावा आयतित दुर्लभ पक्षियों ने भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया है ।

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