प्रथम सांसद सैयद अहमद मूसा को किए श्रद्धा सुमन अर्पित ओलंपियन ध्यानचंद भी रहे मौजूद
होशंगाबाद नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र के प्रथम सांसद
स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय सैयद अहमद मूसा को
खेल मैदान में किए गए श्रद्धा सुमन अर्पित
सोहागपुर । होशंगाबाद नरसिंहपुर संसदीय क्षेत्र के प्रथम सांसद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय सैयद अहमद “मूसा” को गत दिवस स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय प्रताप भानु सिंह चौहान स्मृति राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के मंच से सम्मान पूर्वक याद किया गया और उन्हें खिलाड़ियों और बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए ।
इस दौरान दौरान ओलंपियन अशोक ध्यान चंद, सरंजीत भाटिया, गौरव पालीवाल, नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि यशवंत पटेल, ड्रॉ विद्युलता आवटे मंचासिन थे।
पार्षद गौरव पालीवाल, सरंजीत भाटिया, दलित संघ की तरफ से ड्रॉ विद्युलता आवटे द्वारा कमेटी सदस्यों का सम्मान किया गया। इस क्रम में अध्यक्ष जयराम रघुवंशी, सायोजक शंकर मालवीय, सचिव अश्विनी सरोज, सौरभ तिवारी, दादूराम, पवन सिंह चौहान, मनोज गोलानी, राजीव दौहरे, अभिनव पालीवाल, अंकित कुबरे आदि का सम्मान किया गया।
वरिष्ठता के खिलाड़ी भानु तिवारी, शेर खान, प्रदीप शर्मा, किशोर जायसवाल, अभिलाष सिंह चंदेल, अभिषेक सिंह चौहान, अंकुश जायसवाल आदि इस अवसर पर उपस्थित रहे।
सांसद मूसा के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अभिलाष सिंह चंदेल ने बताया कि सांसद सैयद अहमद मूसा सोहागपुर के पामली गांव के मूल निवासी थे उनका घर आज सोहागपुर में भी है जहां उनके परिजन रहते हैं ।
आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले
सांसद मूसा सर्वधर्म समभाव के प्रतीक थे सादगी से अपना जीवन व्यतीत करने वाले इस व्यक्तित्व की गांधी नेहरू और शास्त्री जी से भी नजदीकियां जगजाहिर हैं
नेहरू जी उन्हें सर कहकर संबोधित किया करते थे तो इंदिरा जी उन्हें चाचा कहकर बुलाया करती थी ।
दो फरवरी 87 को उन्होंने होशंगाबाद के शासकीय अस्पताल में देह त्यागी
4 फरवरी 87 को उन्हें सोहागपुर में सुपर्देखाक किया गया ।
मूसा साहब के भतीजे सैयद इलियास बताते हैं कि चाचा के पिता खान साहब सैयद ईशाक
जबलपुर के शहर कोतवाल हुआ करते थे और उन्हें खान साहब की उपाधि भी प्राप्त थी
इसके बावजूद सैयद अहमद मूसा साहब ने अपने पिता की भी खिलाफत करते हुए खिलाफत आंदोलन में शिरकत की और जंगे आजादी में कई बार जेल गए ।
सन 52 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा और संप्रदायिक कट्टरता के उस दौर में चुनाव जीतकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बन कर उभरे ।
नेहरू जी शास्त्री जी इंदिरा जी सभी की उन्हें नज़दीकियां और विश्वसनीयता हासिल हुई
यह सभी उनका न सिर्फ सम्मान करते थे बल्कि समय-समय पर इनसे राय मशवरा भी लिया करते थे ।
क्षेत्र में औद्योगिक और कृषि के विकास के साथ-साथ सुरक्षित वन्य प्राणी जीवन और पारिस्थितकी भी उनकी समग्र चिंताओं का सबब हुआ करती थी ।
सैयद इलियास बताते हैं कि सन 66 में राज्यसभा सदस्य रहते हुए मध्यप्रदेश वन्य प्राणी संरक्षण मंडल के सदस्य होने के नाते उनके द्वारा प्रेषित प्रस्ताव और संघर्ष आज नेशनल पार्क और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के रूप में हमारे सामने है ।
जो अब हमेशा पर्यटकों से गुलजार रहता है
और पर्यटन के जरिए समूचे नर्मदा अंचल की आय का एक बड़ा स्त्रोत है ।
इसका अंदाजा सिर्फ इससे लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन के दौरान 4 महीने के अंदर समूचे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मैं लगभग ₹35 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ था ।