विस्थापन में छूटे वनवासियों से एसडीएम ले रहें दावे आपत्ति नांदनेर और सोनपुर के लोगों को दावे आपत्ति पेश करने के लिए 10 फरवरी तक का समय

सोहागपुर।
सतपुड़ा टाईगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले वन ग्रामों को शासन ने वन क्षेत्र से निकलकर राजस्व क्षेत्र में विस्थापित किया हैं। शासन द्वारा किया गया यह विस्थापन वन ग्रामों को जंगल से बाहर निकालकर जंगलों को सुरक्षित करना था। वन विभाग ने वर्ष 2012- 13 में चार गांव पट्टन, कुकरा, नांदनेर, सोनपुर को विस्थापित किया था। लेकिन उस समय इन गांव के बहुत से लोग बाहर काम के लिए गए हुए थे तो उन लोगों के नाम विस्थापितों की सूची में शामिल नहीं हो सके थे। वन विभाग ने मौजूदा लोगों के विकल्प एक एवम विकल्प दो का लाभ देकर जंगल से बाहर कर दिया। मगर जो गांव में नहीं थे उनकी जमीनें भी चली गईं , घर से बेघर भी हो गए और मुआवजा भी नहीं मिला था तो ऐसे लोगों ने शासन से गुहार लगाई की उनकी जमीनें चली गई हैं ,जिनका मुआवजा वन शासन ने नहीं दिया। एसडीएम असवन राम चिरामन ने जानकारी देते हुए बताया कि शासन ने इस पर संज्ञान लेते हुए जो लोग वर्ष 2012-13 के विस्थापन में छूट गए थे उनसे दावे आपत्ति पेश करने को कहा , जिसके बाद सोहागपुर में शुक्रवार को दो गांव चित्तौड़ पट्टन एवं कुकरा के 95 लोगों ने अपने दावे आपत्ति प्रस्तुत की ।
वहीं बचे हुए दो गांव नांदनेर और सोनपुर के लोगों को अपने दावे आपत्ति पेश करने के लिए 10 फरवरी तक का समय दिया गया हैं। । इस दौरान एसडीओ मढ़ई अंकित जामोद एसडीएम कार्यालय में मौजूद रहे
” विस्थापन के समय से होगा मुहावरे का निर्धारण”
एसडीएम ने बताया कि विस्थापन के मामले सोहागपुर सब डिवीजन के अन्तर्गत आने वाले चार गांव चित्तौड़ पट्टन , कुकरा, नांदनेर, सोनपुर के लिए आवास का मुआवजा दिया जा चुका था मगर कृषि भूमि का मुआवजा नहीं दिया गया था साथ ही जो लोग छूट गए थे उनके लिए वन अधिनियम 1947 के अंतर्गत धारा 4 एवम 6 का प्रकाशन होना था , वर्ष 2021 में तत्कालीन डीएफओ ने धारा 4 का प्रकाशन तो करा दिया मगर धारा 6 का प्रकाशन नहीं हो पाया था इसलिए कुछ लोग मुआवजे से वंचित रह गए। अब शासन ने इस मामले में संज्ञान लिया तो कृषि भूमि के मुआवजे से वंचित लोगों के दावे आपत्ति लिए जा रहें हैं। एसडीएम ने बताया कि चारों गांव के लोगों से दावे आपत्ति लेकर इनके मुआवजे का निर्धारण वर्ष 2012 – 13 के आधार पर किया जायेगा लेकिन विस्थापन के बाद सुनवाई में समय ज्यादा हो गया तो शासन के नियमानुसार निर्धारण में 25 से अधिक की बढ़ोतरी नहीं की जा सकेंगी।

क्या हैं विकल्प 1 एवं 2 का नियम………….
वन विभाग ने शासन के नियमानुसार वन ग्रामों को जंगल से बाहर निकालने के लिए मुआवजे के दो विकल्प बनाए थे जिसमें विकल्प – 1 के तहत विस्थापितों के परिवार में 18 वर्ष के एक सदस्य को एक यूनिट मानकर प्रति यूनिट 10 लाख रुपए दिए गए थे। इस विकल्प में किसी भी परिवार को जमीन देने का कोई प्रावधान नहीं था। वहीं विकल्प – 2 में परिवार को 5 एकड़ जमीन और 2.5 लाख रुपए मकान के लिए दिए जाना था। वन विभाग ने जिन गांव को विस्थापित किया उनके समक्ष दो विकल्प रखकर ग्रामीणों की स्वेच्छा अनुसार विस्थापन किया।