स्व. प्रभाष जोशी की जयंती पर स्मृति विशेष। सोहागपुर आगमन के कारण आज भी याद किए जाते हैं प्रभाष जोशी
सोहागपुर । साहसिक पत्रकारिता और परंपरा के प्रतीक देश के प्रख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी का कल 15 जुलाई को जन्म दिन था ।
देशभर में उन्हें इस अवसर पर श्रद्धा पूर्वक याद किया जाता है।
सोहागपुर-बाबई में प्रभाषजी अपने आगमन को लेकर हमेशा याद किए जाएंगे।
दादा माखनलाल चतुर्वेदी की जन्म तिथि 4 अप्रैल 2007 में प्रभाष जी सोहागपुर में आयोजित एक पर्यावरण संगोष्ठी और पत्रकार सम्मेलन में शिरकत करने आए थे। सर्वप्रथम उन्होंने बाबई में राष्ट्रकवि दादा माखनलाल चतुर्वेदी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया तथा यहां कवि
ब्रजमोहन से ठाकुर से मुलाकात की। फिर समाजसेवी कुलदीप मिश्रा के निवास पर पहुंचकर खुद चाय बनाकर पी और पिलाई।
इसके पश्चात मढ़ई में आयोजित पर्यावरण संगोष्ठी को संबोधित किया अपने उद्बोधन में उन्होंने पत्रकारिता की वर्तमान दशा को चिंतनीय बताते हुए यहां आए देश और प्रदेश के पत्रकारों से गहरी चिंता व्यक्त की। देश के प्रख्यात पत्रकार चिंतक विचारक दैनिक जनसत्ता के सलाहकार संपादक प्रभात जोशी ने कहा कि जब अखवार व्यूरो चीफशिप तक ठेके पर देने लगे तो इससे ज्यादा पतन और क्या होगा ॽ
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक मीडिया बढ़ते दायरे प्रिंट मीडिया को इमानदारी से काम करने के लिए बाध्य, करेंगे।
श्री जोशी ने यह भी कहा कि बावजूद बढ़ती विकृतियों के मूल्यों और सिद्धांतों की पत्रकारिता कर अस्तित्व रहेगा। मूल्यों और सिद्धांत की पत्रकारिता या काम को किसी भी रूप में नकारा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा व्यवहारिकता की वजह पत्रकारिता आज मूल सिद्धांतों से भटक गई है।
शाम को सोहागपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कभी बद्री प्रसाद परसाई की कृति ‘तुम काटो में वृक्ष लगाओ’ का लोकार्पण किया कथा देर रात प्रभाष जी से भोपाल होते हुए दिल्ली लौट गए।
इस अवसर पर उनके साथ साहित्यकार प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह के अलावा कवि दुष्यंत कुमार त्यागी के पुत्र आलोक त्यागी तथा उनकी पत्नी (कमलेश्वर जी की बेटी) ममता त्यागी साहित्यकार कवि विजय वाते भी यहां साग्रह आमंत्रित थे।