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” स्वर्गीय कवि स्वतंत्रता सेनानी प्रहलाद पांडेय ” शशि”(बेतूल म.प्र .) 10 जनवरी १९१५ को खातेगांव( इंदौर) मे जन्मे”शशिजी” ने किशोरावस्था सेही राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष के लिए कलम युद्ध आरंभ कर दिया था देश प्रेम के ही कारण उन्हे अंग्रेजो का कोपभाजन बनना पडा |उनके चर्चित काव्य संग्रह |” विद्रोहणि ” और ” तूफान “अंग्रेज शासन के विरुद्ध एक बयान के रुप मेँ प्रकाशित हुए थे |” अल्प आयु मेँ ही अभिनंदनीय हो जाने वाले शशि जी की प्रतिभा का प्रथम मूल्यांकन ” उसी समय हो चुका था जब उन्हे १९३४ मे संपन्न “अखिल भारतीय संपादक सम्मेलन ” के अंतर्गत आयोजित एक कवि सम्मेलन मेँ ” श्रेष्ठ कवि” के रुप मे ” साहित्य देवता स्वर्गीय दादा माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा पुरस्कृत और सम्मानित किया गया था | उस समय सिर्फ 19 साल के थे”|1952 मेँ शशि जी स्थाई रुप से बेतूल आए और कई पत्र पत्रिकाओं के संपादन के जरिए साहित्यिक वातावरण के निर्माण मेँ जुट गऐ |एक सच्चे साहित्यकार के रुप मेँ उन्होने पीड़ा , व्यथा और निर्धनता को स्यंव भोगा था |” शशिजी ” की अन्य रचनाएँ “————**—-विद्रोहिणी ओर तूफान के अलावा उनकी अन्य लोकप्रिय रचनाओं मे ” ताज महल होटल मे रंगरेलियाँ”” राय बहादुर” कलम का सोदा ” “पाखंड भवन” खतरे की घंटी” तथा” सेठों के षड़यंत्र ” काफी लोकप्रिय हुई है| ” एक सच्चे कवि ओर साहित्यकार के रुप मेँ पीड़ा, व्यथा ,अभाव ,ओर निर्धनता को आजीवन भोगने वाले ” स्वतंत्रता सेनानी “शशि” जी का निधन आठ सितम्बर 1976 को हो गया | ” देश प्रेम का इस से बडा उदाहरण भला और क्या होगा कि उन्होने मृत्यु से पूर्व ” जन-मन-गण ” सुनने की इच्छा व्यक्त की थी | ओर उनकी इस अंतिम इच्छा को पूर्ण किया था उनकी पत्नी प्रियंबदा बाई पांडे पुत्री रचना और पुत्र छुटका ने | ” ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते है |प्रणाम शत प्रणाम बारंबार प्रणाम आपको अनंत प्रणाम |” तूफान की चार पंक्तिया”” योग्य समय का तुझे निमंत्रणजिसे आज पहचान चला मेंअपनी गति मे लिए युगांतरलो रोको ” तूफान ” चला मै****

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