सोहागपुर की अदालत का ऐतिहासिक फैसला. अबोध बालिका के साथ बलात्कार कर हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा शोभापुर की घटना
सोहागपुर । सोहागपुर के इतिहास में पहली बार यहां की कोर्ट ने किसी मामले में फांसी की सजा सुनाई है। न्यायालय द्वारा 976 दिनों में यह निर्णय प्रतिपादित किया गया है।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेश कुमार चौबे की अदालत ने बुधवार को अबोध बच्ची के साथ रेप एवं हत्या के मामले में आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया को मृत्युदंड का निर्णय पारित किया है। यह निर्णय सोहागपुर में अपर सत्र न्यायालय स्थापित होने के बाद पहला फैसला है जिसमें किसी आरोपी को विरलतम से विरलतम अपराध के लिए मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई हो।
बुधवार को अभियोजन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओ बाबूलाल काकोडिया एवं अपर लोक अभियोजक शंकर लाल मालवीय ने बताया सोहागपुर न्यायालय से किसी आरोपी को मृत्युदंड से दंडित करने का यह पहला फैसला है।अभियोजन द्वारा प्रस्तुत लिखित, मौखिक दस्तावेजी साक्ष्य एवं तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय द्वारा आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरूषोत्तम माछिया को मृत्युदंड से दण्डित किया। आरोपी घटना के बाद गिरफ्तार होने से करीब 3 वर्ष से न्यायिक हिरासत में था।
घटना का संक्षिप्त विवरण
प्रकरण में जिला अभियोजन अधिकारी, राजकुमार नेमा ने बताया कि दिनांक 25.12.2021 के समय करीब सुबह 8 बजे नाबालिग बच्ची के पिता काम करने चले गये थे, जब शाम को आये तो नाबालिग बच्ची की मां ने बताया कि बच्ची 02ः00 बजे से घर में नहीं है, तभी से घर के सभी लोग उसे ढूूंढ रहे हैं, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल रहा, इसके बाद बच्ची के पिता, अपने साले (बच्ची के मामा) के साथ पुलिस चौकी शोभापुर रिपोर्ट करने गये। चौकी से पुलिस वाले साथ आये, फिर पुलिस वालों ने साथ मिलकर घर के आस-पास ढूंढा। जब पुलिस और सभी लोग छत पर गये और ढूंढा, तो नाबालिग बच्ची छत पर रखे पुराने कपड़ों के नीचे ढकी हुई मिली। पुलिस द्वारा संपूर्ण जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि घटना दिनांक, घटना समय को घटना स्थल पर किसी अज्ञात आरोपी के द्वारा नाबालिग बच्ची के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने के बाद गला घोंटकर हत्या कर दी है, जो उक्त अज्ञात आरोपी का कृत्य अपराध धारा-302, 376एबी, 377, 450, 201 भादवि एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-5/6 का पाया जाने में अज्ञात आरोपी के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। संपूर्ण विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया और आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरूषोत्तम माछिया को ‘‘मृत्युदण्ड‘‘ से दंडित किया गया। न्यायालय द्वारा प्रतिक्रिया दी कि ‘‘हर एक निश्चिल, निर्दोष मासूम, अबोध बालिका का बलात्कार स्वयं ही विरलतम से विरलतम घटना है और बलात्कार सहित हत्या का मामला जो किसी भी दृष्टि से सामान्य नहीं माना जा सकता।‘‘न्यायालय द्वारा रामचरित मानस के माध्मय से भी बताने का प्रयास किया गया, जिसमें बताया गया कि ‘‘अनुज बधू भगिनी सुत नारी, सुनू सठ कन्या सम ए चारी। इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई।।‘‘
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वैज्ञानिक साक्ष्य बने दोषसिद्धि के आधार #
आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया को मृत्युदंड का निर्णय पारित करने में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को आधार बनाया है। फैसले में घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था परंतु बालिका की के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध के बाद गला दबाकर हत्या की गई थी। जिसके चलते आरोपी के नाखून के निशान एवं बालिका के गले पर मिले निशान ,चमड़ी का पुलिस की ओर से परीक्षण कराया गया और जिसमें आरोपी के नाखून एवं गले के नमूने के परीक्षण दोनों ही के सैंपल एक जैसे पाए गए। इसके अलावा बालिका के साथ हुए अप्राकृतिक यौन संबंध में आरोपी का वीर्य होना प्रमाणित हुआ है।
सजा का विवरणः-
माननीय अपर सत्र न्यायालय, सुरेश कुमार चौबे, द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश, सोहागपुर, जिला-नर्मदापुरम द्वारा आरोपी किशन उर्फ चिन्नू माछिया पिता पुरूषोत्तम माछिया, उम्र- 22 वर्ष, निवासी-राजा वार्ड शोभागपुर, तहसील-सोहागपुर, जिला नर्मदापुरम् को धारा 302 भादवि में मृत्युदण्ड, धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम में मृत्युदण्ड, धारा 377 भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 450 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास, धारा 201 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं कुल 5,000/- रूपये अर्थदण्ड दण्डित किया गया।