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जल गंगा संवर्धन अभियान से मन से नहीं जुड़ पा रहे आमजन क्योंकि …..                          हकीकत से कोई अनजान नहीं ।                             प्रयास ईमानदार होने चाहिए लोग जुड़ने में देर नहीं करेंगे 

जल गंगा संवर्धन अभियान से मन से नहीं जुड़ पा रहे आमजन क्योंकि …..

प्रयास ईमानदार होने चाहिए लोग जुड़ने में देर नहीं करेंगे 

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 सोहागपुर। जल गंगा संवर्धन अभियान  पलकमती नदी के घाट पर एवं बावड़ी वाले मंदिर की बावड़ी में स्वच्छता श्रमदान अभियान का आगाज नगर परिषद द्वारा जन सहयोग  एवं अपने-अधिकारी, कर्मचारियों की मौजूदगी और सहभागिता में पलकमती नदी रपटा के पास किया गया। 

इस दौरान शासकीय कर्मचारियों के साथ गिनती के जनप्रतिनिधि एवं आमजन दिखाई दिए।

 दरअसल मप्र शासन के द्वारा प्रदेश के समस्त निकायों में जल स्रोतों तथा नदी, तालाब, कुंआ बावड़ी तथा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं पुनर्जीवन हेतु 5 जून से 16 जून तक विशेष अभियान का संचालन किया जा रहा है।

 इसी के अंतर्गत पलकमती नदी के जल संरक्षण एवं पुनर्जीवन के प्रयास भी किया जा रहे हैं इन प्रयासों की जिला कलेक्टर सोनिया मीणा के द्वारा लगातार मॉनीटरिंग भी की जा रही है 

इस अभियान से आम लोगों के नहीं जुड़ने का कारण बताते हुए सामाजिक कार्यकर्ता श्वेतल दुबे का मानना है कि  पलकमती नदी की सफाई हेतु विगत वर्षों में चलाए गए श्रमदान एवं सफाई अभियान का हिस्सा बनकर लोग अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे हैं। क्योंकि इन अभियानों की हकीकत से आप कोई नावाकिफ नहीं है

 यही कारण है कि आमजन जल गंगा संवर्धन अभियान से अपने आप को मन से नहीं जोड़ पा रहे हैं और यही कारण है कि अभियान में आमजन की संख्या कम नजर आ रही है ।

वस्तुत:  जो दिख रहा है वह होता नहीं हो जो होता है वह दिखता नहीं

 जबकि सरकारी कर्मचारी अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए साफ सफाई अभियान में पूरी निष्ठा एवं समर्पण से काम कर रहे हैं। 

शनिवार को सुबह भी मौजूद लोगों के द्वारा श्रमदान कर झाडू लगाने एवं कचरा उठाने का काम किया गया। इस दौरान जेसीबी ने नदी के बीचों-बीच उतर कर हरि वनस्पति को हटाने एवं गहरीकरण का काम किया। 

इस दौरान तिलक वार्ड पार्षद शकुन बाई सराठे, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि यशवंत पटेल, संजीव शुक्ला, शिवकुमार पटेल उप यंत्री रामगोपाल चौबे एवं नगर परिषद के समस्त कर्मचारी मौजूद रहे।

गंदले नालों को नदी में जाने से रोके बिना 

                कुछ नहीं होगा

दरअसल शहरी क्षेत्र में नदी से विभिन्न वार्ड क्षेत्र के बड़े एवं छोटे नाले जाकर मिले हैं। घरों से निकलने वाले ड्रेनेज के पानी सहित पॉलिथीन एवं अन्य गंदगी नदी में इन्हीं नालों से मिल रही है।

 जब तक इन नालों का कोई उपाय नहीं होगा तब तक ऐसे कितने ही अभियान चला लिए जाएं पलकमती वापस अपने प्राचीन रूप को प्राप्त नहीं कर सकेगी।

 आखिर पलक मति साबरमती क्यों नहीं बन पाई ?

  विधायक विजयपाल सिंह ने पलकमति को साबरमती बनाने की घोषणा कर रखी है और उनके  विशेष प्रयासों से इस नदी के संरक्षण एवं सौंदर्याकरण हेतु  करोड़ों की राशि आवंटित कराई भी गई

 कुछ काम भी होता हुआ नजर आया किंतु फिर भी घोषणा के अनुरूप पलकमति साबरमती नहीं बन पाई ? यह एक बड़ा सवाल है ?

 जिस गति से यह काम हो रहा है  उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि सिर्फ खानापूर्ति  ही हो रही है

   जबकि होना यह चाहिए था कि पहले नदी को शहर के नालों से मुक्त करना चाहिए था जब नदी में गंदगी मिलना बंद हो जाती तब नदी के घाटों को पक्का एवं सौंदर्याकरण का कार्य सफल दिखाई पड़ता।

लोगों की इच्छा है कि पलकमती नदी पुनर्जीवित हो  लेकिन उसके लिए पूरी ईमानदारी के साथ किए जाने वाले बड़े प्रयासों की आवश्यकता है जो अभी तक नजर नहीं आए हैं

 इसलिए कहा जा सकता है कि यह अभियान भी कागजों में ही दम तोड़ देगा और आगामी 16 जून को सोशल मीडिया वायरल फोटोग्राफ एवं खबरों की कतरनों के माध्यम से  पूर्णता को प्राप्त हो जाएगा

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