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जमनी सरोवर में विराजे भोलेनाथ: बाबा हरिओम की परिकल्पना हुई साकार                                  दशकों पुरानी आस्था को मिला मूर्त रूप, ओंकारेश्वर से लाया गया शिवलिंग प्रतिष्ठित

सोहागपुर।
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर जमनी सरोवर के मध्य स्थित भव्य शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। वर्षों पूर्व गोलोकवासी बाबा हरिओम द्वारा स्थापित इस आध्यात्मिक यात्रा का यह ऐतिहासिक क्षण आस्था और परंपरा का प्रतीक बन गया।

प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पंडित अरविंद सहरिया ने बताया कि मंगलवार संध्या तक अधिवास की सभी प्रक्रियाएँ संपन्न हो चुकी थीं। बुधवार को भगवान शिव एवं नंदी की प्रतिष्ठा के साथ मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिया गया।


बाबा हरिओम: शिव मंदिर की परिकल्पना के सूत्रधार

भक्ति और तप के प्रतीक अवधूत बाबा हरिओम ने वर्षों पूर्व जमनी सरोवर के मध्य शिव मंदिर की स्थापना का संकल्प लिया था। इस पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे ओंकारेश्वर से नर्मदेश्वर शिवलिंग लेकर आए थे। यह शिवलिंग दशकों तक जमनी सरोवर में प्रतिष्ठा की प्रतीक्षा में रहा और अब सौभाग्य से उसकी प्राण प्रतिष्ठा का यह शुभ अवसर आया है।

बाबा हरिओम की आध्यात्मिक सिद्धियों और सत्य वाणी के किस्से आज भी श्रद्धालुओं के बीच प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि बाबा की वाणी जो कह देती थी, वह निश्चित रूप से पूर्ण होती थी। उनके द्वारा संकल्पित यह शिव मंदिर अब एक भव्य आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित हो गया है।


जमनीश्वर महादेव: बाबा हरिओम की प्रेरणा से मूर्त हुआ सपना

तालाब के मध्य निर्मित शिव मंदिर में चार प्रमुख द्वार हैं, जिससे परिक्रमा के दौरान चारों दिशाओं से जमनीश्वर महादेव के दर्शन किए जा सकते हैं। श्रद्धालु यहाँ महादेव और नंदी की भव्य मूर्ति के दर्शन कर आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।

इसी परिसर में हनुमान मंदिर के समीप स्थित बिल्व वृक्ष के नीचे भी एक शिवलिंग एवं नंदी की प्रतिष्ठा कराई गई, जिसे धर्मावलंबी राजेश सोनी द्वारा लाया गया था। इस स्थान को शंकर बिल्वेश्वर महादेव के रूप में जाना जाएगा, जहाँ श्रद्धालु पूजन, अर्चन एवं अभिषेक कर सकेंगे।


जमनी सरोवर: ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि

यह पवित्र जमनी सरोवर का नाम महर्षि जमदग्नि के नाम पर पड़ा, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के पिता थे। पौराणिक मान्यता के अनुसार, महर्षि जमदग्नि ने यहाँ घोर तपस्या की थी। इस सरोवर के किनारे उनकी समाधि स्थल भी स्थित है, जिसे अब संरक्षित और विकसित करने की योजना बनाई गई है, जिससे श्रद्धालु यहाँ शिव, हनुमान एवं जमदग्नि ऋषि की तपस्थली के दर्शन कर सकें।


34 वर्षों से जल रही अखंड ज्योति, अनवरत रामायण पाठ जारी

26 नवंबर 1991 से जमनी सरोवर स्थित मंदिर में अखंड ज्योति जल रही है और उसी समय से यहाँ रामायण पाठ भी निरंतर चल रहा है। इस परंपरा की नींव चांदीखेड़ी के संत सीताराम महाराज ने रखी थी। बाद में ब्रह्मलीन संत एसपी सिंह मास्साब के मार्गदर्शन में इसे सुसंस्कारित शिक्षा केंद्र के रूप में भी विकसित किया गया।

बाबा हरिओम की आध्यात्मिक ऊर्जा और श्रद्धालुओं की आस्था के कारण यह स्थान एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में उभर रहा है।


भव्य आयोजन में भक्तों ने पाई आध्यात्मिक अनुभूति

महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर महाभिषेक, हवन, पूर्णाहुति एवं भंडारा (फलाहार) का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

इस आयोजन को सफल बनाने में गुलशन महाराज, पंडित अरविंद सहरिया, पंडित विकास शर्मा, पंडित मनीष उपाध्याय, पंडित विनीत शर्मा, पंडित सौरभ शर्मा और पंडित आशीष शास्त्री सहित अनेक विद्वानों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


बाबा हरिओम के संकल्प से निकला आध्यात्मिक केंद्र

यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बाबा हरिओम के सपने का साकार रूप है। उनके द्वारा ओंकारेश्वर से लाया गया शिवलिंग अब जमनीश्वर महादेव के रूप में भक्तों के लिए पूजनीय बन चुका है। बाबा हरिओम की सिद्ध वाणी को श्रद्धालु आज भी सत्य और आस्था का प्रमाण मानते हैं।

अब यह स्थान भक्ति, सेवा और शिक्षा का केंद्र बन चुका है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जीवंत रहेगा।

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