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सरस्वती जी की तपोस्थली रेवा कुब्जा संगम पर कार्तिक स्नान के साथ बालक भगवान का जन्मदिन भी मना

सोहागपुर। । कार्तिक पूर्णिमा स्नान के साथ माता सरस्वती की तपोस्थली अजेरा में श्री रेवा कुब्जा संगम पर छत्तीसगढ़ पीठाधीश्वर अनंत विभूषित श्री बालक भगवान का जन्मदिन भी मनाया गया ।
बालक भगवान के बारे में सर्वज्ञात है कि वे याद करते ही अपने भक्तों को दर्शन देते थे उनको जानने मानने वाले ऐसे कई उदाहरण बताते हैं उनका सोहागपुर आगमन भी उनकी स्मृति के बाद ही कुछ इसी तरह हुआ था ।


उल्लेखनीय है कि 22 सितंबर 2004 को श्री बालक भगवान माता सरस्वती की तपोस्थली रेवा कुब्जा संगम पहुंचे थे ।
यहां के लोगों का मानना है कि इसके बाद उत्तरोत्तर यहां का विकास होता चला गया और आज यह एक बड़ा दर्शनीय स्थल बन चुका है गांव के सरपंच वसंत शाह बताते हैं कि बालक भगवान के आशीर्वाद और विधायक विजयपाल सिंह के प्रयासों से पीलिया पर पुल बना कुब्जा संगम में सीढ़ियां बनी और एक धर्मशाला का भी यहां निर्माण हुआ है जिसमें नर्मदा परिक्रमा वासियों को रहने की सुविधा होती है
बसंत पंचमी से लेकर नर्मदा जयंती तक विभिन्न अनुष्ठान और धार्मिक आयोजन यहां पर होते रहते हैं ।              जिसमें शोभापुर सोहागपुर सहित समूचे ग्रामीण अंचल के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं ।
गैया वाले महात्मा आत्मानंद जी के ने बताया कि मार्कंडेय ऋषि के मुताबिक भगवान शंकर ने स्वयं इस स्थल को गया गंगा और सरस्वती से भी महत्वपूर्ण मोक्ष स्थल बताया है ।
युधिष्ठिर द्वारा कुब्जा संगम का महत्व पूछे जाने पर मार्कंडेय ऋषि ने कहा कि भगवान शंकर ने खुद माता पार्वती और कुमार कार्तिकेय को कुब्जा संगम की महिमा बताते हुए कहा कि इनके दुर्लभ दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है गया गंगा सरस्वती जाने की जरूरत नहीं पड़ती ।
वशिष्ठ संहिता और नर्मदा पुराण के मुताबिक काशी प्रयाग पुष्कर आदि समस्त तीर्थ यहां पर आकर डुबकियां लगाते हैं ।

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