सतपुड़ा से बांधवगढ़: बायसन पुनर्विस्थापन का बड़ा अभियान शुरू। 24 तक चलेगा पहली खेप में चूरना से आठ बायसन भेजे गए

सोहागपुर।मध्य प्रदेश वन विभाग और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के संयुक्त प्रयास से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बोरी रेंज से 50 बायसन को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पुनर्विस्थापित किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण परियोजना के पहले चरण में 20-25 बायसन को 20 से 24 फरवरी के बीच स्थानांतरित किया जा रहा है । 20 फरवरी को पहले खेप में आठ बायसन सीसीटीवी से लैस अत्याधुनिक वाहनों से भेजे गए हैं सेटेलाइट से इन वाहनों की मॉनिटरिंग की जा रही है बायसन को जंगल से पकड़ कर और आंखों पर कपड़ा डालकर टीम 200 मीटर तक कंधे पर रखकर वाहन तक लाईं विशाल अभियान में विशेषज्ञों की टीम।
यह अभियान जैव विविधता संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, इस अभियान में मध्य प्रदेश के अपर मुख्य वन प्राणी सरक्षक एल कृष्ण मूर्ति की देखरेख में चल रहा है जिसमें लगभग 250 वन अधिकारी-कर्मचारी और 15 पशु चिकित्सकों की टीम शामिल हैं । इसमें सतपुड़ा, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच टाइगर रिजर्व और वन विहार, भोपाल के विशेषज्ञ भाग लें रहे। इसके अलावा, सतपुड़ा के चार और बांधवगढ़ के दो हाथी भी इस प्रक्रिया में जुटे हुए हैं संतुलित संरचना के साथ होगा स्थानांतरण यह बात बताते सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की फील्ड डायरेक्टर राखी नंदा ने कहा कि स्थानांतरण के दौरान नर और मादा बायसन का संतुलित अनुपात रखा जा रहा है इन बायसन को सड़क मार्ग से लगभग 600 किलोमीटर दूर बांधवगढ़ ले जाया जा रहा । बांधवगढ़ में बायसन पुनर्स्थापन का इतिहास। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बायसन पुनर्वास की यह दूसरी बड़ी पहल है। इससे पहले 2011-12 में कान्हा टाइगर रिजर्व से 50 बायसन यहां लाए गए थे, जिनकी संख्या अब 170 तक पहुंच गई है। इसी तरह, पिछले साल जून में सतपुड़ा से 16 बायसन को संजय टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया था। उस अभियान में शामिल विशेषज्ञों को इस बार की प्रक्रिया में भी शामिल किया गया है, ताकि अनुभव और कुशलता का बेहतर उपयोग किया जा सके। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक और कदम बायसन स्थानांतरण परियोजना न केवल सतपुड़ा और बांधवगढ़ के वन्यजीव तंत्र को समृद्ध करेगी, बल्कि वन्यजीव प्रबंधन, आनुवंशिक विविधता और पारिस्थितिक संतुलन को भी मजबूत करेगी। इस महत्वाकांक्षी अभियान से बायसन की संख्या को स्थिर करने और उनके प्राकृतिक आवासों को पुनर्स्थापित करने में सहायता मिलेगी, जिससे मध्य प्रदेश में जैव विविधता संरक्षण को एक नई गति मिलेगी।
