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एस टीआर के मंढ़ई चूरना बोरी और बागरा बफर में वन्य प्राणियों की    कैमरा ट्रैपिंग शुरू 20 अप्रैल तक कैमरों में कैद तस्वीरों से बनेगा डाटा

सोहागपुर। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में कैमरा ट्रैपिंग के दूसरे चरण की शुरुआत बुधवार से हो गई है। इसके तहत मढ़ई, चूरना, बागरा बफर और बोरी रेंज में लगभग 800 कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों में 20 अप्रैल तक दर्ज तस्वीरों का डाटा एकत्रित किया जाएगा।
यह जानकारी देते हुए मढ़ई एस टी आर के एस डी ओ अंकित जामोद ने बताया कि
इससे पहले, 12 फरवरी से 13 मार्च तक पचमढ़ी, मटकुली और पिपरिया बफर में पहले चरण की ट्रैपिंग की जा चुकी है।
दोनों चरणों के बाद जंगल में मांसाहारी और शाकाहारी वन्य जीवों का विस्तृत डाटा तैयार किया जाएगा।

दूसरे चरण की ट्रैपिंग के लिए जंगल में पेड़ों पर कैमरे लगाए गए हैं।
25 दिन की इस प्रक्रिया में जितने भी वन्य जीव कैमरों में नजर आएंगे, उनकी तस्वीरों को 20 अप्रैल को संकलित किया जाएगा।
यह डाटा वाइल्डलाइफ विभाग को भेजा जाएगा।
श्री जामोद के अनुसार, हर वर्ष इस तरह की कैमरा ट्रैपिंग की जाती है। इस प्रक्रिया से जंगल में विभिन्न प्रजातियों की उपस्थिति और उनकी संख्या का आकलन किया जाता है, जिससे बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्य जीवों के संरक्षण के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं।

” एसटीआर में बाघ और तेंदुओं की संख्या बढ़ी “

मिलीजानकारी के मुताबिक एस टी आर में बाघों की संख्या लगभग 70 तक पहुंच चुकी है और तेंदुए लगभग 256 है
मढ़ई और चूरना क्षेत्रों में सफारी के दौरान पर्यटकों को आमतौर पर बाघों के दीदार हो जाते हैं। खासतौर पर, शावकों की संख्या बढ़ने से संकेत मिल रहे हैं जिससे स्पष्ट है कि आने वाले समय में यहां बाघों की आबादी और अधिक बढ़ेगी मार्च 2023 में हुई गणना के अनुसार, एसटीआर में तेंदुओं की संख्या भी 256 दर्ज की गई थी।

विस्थापित गांवों में बढ़े घास के मैदान

एसटीआर से विस्थापित किए गए लगभग 50 वनग्रामों के खाली होने के बाद यहां घास के मैदानों का विस्तार हुआ है। इन मैदानों में चीतल, सांभर, हिरण और नीलगाय के बड़े झुंड निवास करते हैं, जिससे बाघों को शिकार सहज रूप से उपलब्ध हो जाता है।
प्राकृतिक जलस्रोतों की पर्याप्तता के कारण यहां पानी की भी कोई कमी नहीं है, जिससे यह क्षेत्र बाघ और तेंदुए के अनुकूल बन गया है और उनकी संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।

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