कर्म का जैसा बीज बोओगे , वैसा फल प्राप्त होगा– पीयूष जी महाराज. राजा परीक्षित के भाव से कथा श्रवण करने पर प्राप्त होता है भगवान के दर्शन करने बराबर पुण्य फल।

सोहागपुर।
राजा परीक्षित के भाव से जो श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करता है उसे भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने के बराबर का पुण्य फल अपने आप प्राप्त हो जाता है। उक्त बात श्री शारदा पीठ मैहर श्रीराम व्यास पीयूष जी महाराज ने आइकॉन सिटी में स्व. सतीश कुमार दुबे की स्मृति में दुबे परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के विराम दिवस पर कही।

उन्होंने कहा कि संत महात्माओं ने जब भगवान श्री कृष्ण से कलयुग में उनके निवास के बारे में पूछा तो भगवान श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि कलयुग में मेरा निवास श्रीमद् भागवत महापुराण में रहेगा जो प्राणी भागवत की कथा सुनेगा और भागवत की पोथी अपने सिर पर धारण कर लेगा। उसका सदैव उद्धार होगा। उन्होंने विराम दिवस पर राजा परीक्षित , सुखदेव , भगवान श्री कृष्ण को जरा बहेलिए द्वारा मारे गए तीर एवं तक्षक नाग से जुड़े प्रसंग की कथा सुनाई।

उन्होंने कहा कि इस समय परिवर्तनशील होता है और व्यक्ति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए की हर एक दिन उसकी आयु में से कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रकृति का नियम है कि आप जैसा कर्म करोगे आपको वैसा फल भोगना पड़ेगा चाहे वह मानव , साधु , महात्मा , मुनि , ज्ञानी या स्वयं परमात्मा ही क्यों ना हो , जो धरती पर आया है और जिसने कर्म का बीज जैसा बोया है। वैसा फल उसे प्राप्त होकर ही रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि सत्ता को चलाने वाला राजा होता है लेकिन सत्ता को सही दिशा दिखाने का काम महात्मा ही करता है और यह प्रामाणिक सत्य है। बात त्रेता की हो , द्वापर की हो या फिर कलयुग की हमेशा यह बात प्रासंगिक है। विराम दिवस पर श्रद्धालुओं के द्वारा होली के गीतों पर वृंदावन की भांति फूलों की होली खेली गई सभी भक्तगण श्री राधा कृष्ण के भजनों के आनंद में गहरे गोते लगाते हुए दिखाई दिए।

आयोजक आशीष दुबे के परिजनों सहित पंडाल में बैठी मातृशक्ति एवं पुरुष वर्ग के द्वारा होली के गीतों पर नृत्यानंद लिया गया। शनिवार को हवन पूजन के उपरांत भंडारा कार्यक्रम संपन्न हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के द्वारा प्रसादी ग्रहण की गई।